विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025,थीम,महत्व एवं आवश्यकता

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विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025,थीम,महत्व

विश्व आर्द्र भूमि दिवस (World Wetlands Day) प्रतिवर्ष 2 फरवरी को पूरे दुनिया भर में मनाया जाता है|विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाने का उद्देश्य जैव विविधता,प्रकृति,मानव जीवन और पारीस्थितिकी तंत्र एवं सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में आर्द्रभूमि के महत्त्व को समझाना है|आर्द्र भूमि जैव विविधता और पारीस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|आर्द्रभूमि सभी जीव-जंतुओं एवं पेड़-पौधों के लिए आवश्यक है|आइये विश्व आर्द्रभूमि दिवस और आर्द्रभूमि के बारे में विस्तार से जानते हैं|

विश्व आर्द्रभूमि दिवस सर्वप्रथम 2 फरवरी को वर्ष 1997 में मनाया गया था|तब से हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है|आर्द्रभूमि(जैसे दलदली क्षेत्र,मैंग्रोव) के संरक्षण के लिए आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है|आर्द्रभूमि जीव-जंतुओं के साथ-साथ पौंधों के लिए भी एक समृद्ध स्थान है|यहाँ पर विभिन्न प्रकार के उपयोगी एवं औषधीय वनस्पतियाँ प्रचुर मात्रा में पाईं जाती है|आर्द्रभूमि जल प्रदुषण को मुक्त रखने का काम करती है|

आर्द्रभूमि क्या है?-

जमीन का वह भू-भाग जहाँ पर स्थायी या अस्थायी रूप वर्ष भर या अधिकतम समय तक जल भरा हो,उस भू-भाग को आर्द्रभूमि की श्रेणी प्रदान की जाती है|आर्द्रभूमि ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर भरपूर नमी पायी जाती है|आर्द्रभूमि जैसे क्षेत्रों में जलीय पौधों की अधिकता रहती है|आर्द्रभूमि कई जीव-जंतुओं,जलीय जीव,वनस्पतियों,पेड़-पौधों एवं पक्षियों के लिए आवश्यक आवास प्रदान करता है|रामसर अभिसमय के अनुसार,ऐसा क्षेत्र जो साल के आठ महीनें तक जल से संतृप्त रहता है,वह भू-भाग आर्द्रभूमि कहलाता है|

विश्व आर्द्रभूमि दिवस का इतिहास-

ईरान शहर के रामसर शहर में 2 फरवरी 1971 को रामसर अभिसमय का आयोजन किया गया |यह अभिसमय विश्व भर में ख़त्म होने की कगार पर झीलों,नदियों,तालाबों जैसे आर्द्रभूमि के संरक्षण की बात करता है|वर्ष 1975 को रामसर अभिसमय को लागू किया गया था|वर्ष 1997 से प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाने लगा|भारत ने 1 फरवरी वर्ष 1982 को इस संधि पर हस्ताक्षर किया|

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 की थीम-

इस वर्ष की थीम “हमारे साझा भविष्य के लिए आर्द्र भूमियों का संरक्षण”(Protecting Wetlands for our Common Future) है जो आर्द्र भूमियों को लम्बे समय तक संरक्षण की बात करता है और उनके सतत प्रयोग के महत्त्व को बताता है|

क्या है रामसर अभिसमय/कान्वेंशन?-

रामसर अभिसमय को आर्द्रभूमि के महत्त्व एवं संरक्षण का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मलेन है|यह विश्व स्तर पर मौजूद आर्द्रभूमियों के संरक्षण का अन्तर्राष्ट्रीय संधि है|इसका आयोजन 2 फरवरी 1971 को कैस्पियन सागर के तट पर स्थित रामसर शहर,जो कि ईरान में स्थित है, में किया गया था|विश्व भर के विभिन्न देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर आर्द्रभूमियों के संरक्षण पर अपनी सहमती दर्ज कराई|रामसर अभिसमय को विश्व भर के आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय संधि के रूप में भी जानते हैं|

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड,आर्द्रभूमियों की एक सूची है जिनका अन्तर्राष्ट्रीय महत्व है तथा जिनकी पारिस्थितिकी तथा विकास में मानव हस्तक्षेप द्वारा या किसी अन्य वजहों से परिवर्तन हुआ है या होने की संभावना है| रामसर स्थल जो कि आर्द्रभूमि है, का रिकॉर्ड मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में रखा जाता है|

आर्द्रभूमि का महत्व-

आर्द्रभूमि को विशेष पारिस्थितिकी तंत्र की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है|आर्द्रभूमि को जैवमंडल का गुर्दा कहा जाता है|आर्द्रभूमि 40% से अधिक प्रजातियों का वास स्थल है,यह स्थल इन प्रजातियों के भरण-पोषण का काम करती है|पेड़-पौधे,वनस्पतियाँ और जलीय जीव जंतु ही नही अपितु मानव भी अपना भोजन इसी स्थान से प्राप्त करता है तथा अपनी आजीविका चलता है|वर्तमान समय में मानव जीवन को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है ऐसे में हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि हम जैव विविधता को संरक्षित करें|आर्द्रभूमि स्थल विभिन्न प्रजातियों की विविधता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|

आर्द्रभूमि घरेलू एवं प्रवासी पक्षी प्रजातियों एवं जंतुओं के लिए प्रजनन का क्षेत्र भी है|यह स्थल बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|यह बाढ़ के पानी का अवशोषण कर मानवीय आवास वाले क्षेत्रों को जलमग्न होने से बचाता है|आर्द्रभूमि जल चक्र और कार्बन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभातें हैं|

आर्द्रभूमि के प्रकार-

आर्द्रभूमि के मुख्यतः तीन प्रकार हैं-

  1. तटीय या ज्वारीय आर्द्रभूमि जैसे कोरल रीफ,मैंग्रोव,लैगून इत्यादि|
  2. अन्तः स्थलीय या गैर ज्वारीय आर्द्रभूमि जैसे तालाब,डेल्टा,झील इत्यादि|
  3. मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे छोटे तालाब,नहरें एक्वाकल्चर इत्यादि|

भारत में रामसर स्थल-

भारत में रामसर स्थलों की संख्या 89 हो गया है,जोकि पहले 85 था|इनमें प्रमुख है-

  1. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जो कि राजस्थान में पक्षी अभयारण के रूप में प्रसिद्ध है|
  2. पॉइंट कैलिमेरे तमिलनाडु में समुद्री आर्द्रभूमि के रूप में प्रसिद्ध है|
  3. लोकटक झील दुनिया की एकमात्र तैरती झील है जो मणिपुर में स्थित है|
  4. चिल्का झील ओडिशा में स्थित एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है|
  5. सुदर्शनखाली पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन का हिस्सा है|
  6. तमिलनाडु राज्य भारत में सर्वाधिक रामसर स्थलों (20) वाला राज्य है|

2 फरवरी 2025 को नए रामसर स्थल जोड़े गए हैं-

  1. उधवा झील (झारखंड)
  2. सक्करकोट्टई पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
  3. थेरथंगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
  4. खेचियोपलरी आर्द्रभूमि (सिक्किम)

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 आर्द्रभूमियों के स्थाई एवं निरंतर संरक्षण के महत्त्व को बताता है|ये जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार ही नहीं बल्कि जैव विविधता,स्वच्छ जल एवं आजीविका के लिए भी महत्वपूर्ण हैं|भारत सहित दुनिया भर के विभिन्न देश आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है|आर्द्रभूमि सूखे की स्थिति में पानी को बचाने में मदद ही नहीं करते बल्कि बाढ़ की स्थिति में जल स्तर की स्थिति को कम करना और मानवीय आवासीय स्थल को बाढ़ से बचाने में मदद करता है|

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