आज हम इस लेख के माध्यम से चिनार वृक्ष के बारें में जानेंगे और चिनार वृक्ष के लिए वृक्ष आधार पहल की जरुरत क्यों पड़ी|चिनार वृक्ष आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है|चिनार वृक्ष जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में पाया जाता है|

जम्मू -कश्मीर सरकार क्षेत्र में घट रहे चिनार वृक्ष को लेकर बहुत ही चिंतित है और चिनार वृक्ष के संरक्षण और निगरानी के लिए सरकार ने आधार कार्ड की तरह जिओ टैग डिजिटल वृक्ष आधार पहल की शुरुआत की है| डिजिटल वृक्ष आधार पहल के माध्यम से वृक्षों की जनगणना की जाएगी,जिससे कि प्रत्येक पेड़ो को एक विशेष पहचान मिलेगी|डिजिटल वृक्ष आधार पहल के माध्यम से प्रत्येक पेड़ को विशेष पहचान संख्या उपलब्ध कराये जायेंगे|
चिनार वृक्ष के बारें में-
चिनार वृक्ष जिसका वैज्ञानिक नाम प्लैटैनस ओरिएंटलिस(Platanus Orientalis) है|इसे अन्य नाम ओरिएण्टल प्लेन ट्री या मेपल ट्री के नाम से भी जाना जाता है|स्थानीय रूप से चिनार वृक्ष को बोईन के नाम से भी जाना जाता है|
चिनार वृक्ष जम्मू की चिनाब घाटी और पीर पंजाल घाटी में उगते हैं|

चिनार वृक्ष की विशेषताएँ
- चिनार वृक्ष एक पर्णपाती वृक्ष है जिसकी ऊंचाई 30 मीटर तक होता है|इसे परिपक्व ऊंचाई तक पहुचने में 30-40 साल लग जाते हैं|वृक्ष को परिपक्व होने में 150 वर्ष लग जाते हैं|
- मौसम बदलने के साथ साथ इसके पत्ते का रंग बदलता रहता है|गर्मियों में इसके पत्ते का रंग हरा,शरद ऋतू में लाल,पीले और अन्य रंगों में बदल जाता है|
चिनार वृक्ष की उपयोगिता –
चिनार वृक्ष की निम्नलिखित उपयोगिताएं है-
- चिनार वृक्ष की लकड़ी को लेस वुड के नाम से जाना जाता है,जिसका प्रयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है|
- इसकी टहनियों और जड़ो का प्रयोग रंग बनाने के लिए किया जाता है|
- चिनार पेड़ की पत्तियों और छालों का प्रयोग दवाएं बनाने में किया जाता है|
चिनार वृक्षों में कमी के कारण-
चिनार वृक्षों के कमी के कारण निम्न हैं-
- शहरीकरण
- अवैध कटाई
- कीट एवं रोग
- जलवायु परिवर्तन
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