आज हम इस लेख के माध्यम से Digital Arrest (डिजिटल अरेस्ट) के बारे में जानेंगे |वर्तमान समय में साइबर ठगों ने ठगी के लिए नए नए उपाय खोज लिए हैं|ठगों ने इस उपायों में से एक उपाय ‘डिजिटल अरेस्ट’ के माध्यम से लोगो को अपना शिकार बना रहे हैं|लोगो को पता नहीं चल रहा है कि लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं|वर्तमान समय के इस डिजिटल युग में साइबर ठग लोगो को आसानी से Digital Arrest(डिजिटल अरेस्ट) कर उन्हें ठगा जा रहा हैं|इस आर्टिकल के माध्यम से हम लोग इससे जुड़ी जानकारी जानेंगे,साथ ही इससे कैसे बचा जाये|

डिजिटल अरेस्ट क्या है?
Digital Arrest (डिजिटल अरेस्ट) की प्रक्रिया एक सन्देश या फोन कॉल/विडियो कॉल से शुरू होती है|Digital Arrest(डिजिटल अरेस्ट) करने वाले ठग लोगों को फोन करके बताते है कि वें पुलिस या इनकम टैक्स विभाग से हैं|वे यह कहते हैं कि आपके पैन या आधार कार्ड का उपयोग करके कई चीजें खरीदी गई हैं या फिर मनी लांड्रिंग की गई है|
कभी-कभी ये यह भी दावा करते है कि वे कस्टम विभाग से हैं और आपके नाम से एक पार्सल आया हैजिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित सामान है|इसमें ठग द्वारा व्यक्ति को जेल या कोर्ट केस की धमकी देता है या पैसे की मांग करता है इन चीजों से डर कर व्यक्ति उनके जाल में फँस जातें हैं और उनको जेल या कोर्ट केस के बदले पैसे दे देतें हैं इस तरीके से साइबर ठग उनको डिजिटली अरेस्ट करके व्यक्तियों से पैसे ऐंठ लेते है|
हाल के समय में इस विषय से सम्बंधित कई मामले सामने आये हैं|डिजिटल अरेस्ट और साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गृहमंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत होगी। श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में Digital Arrest(डिजिटल अरेस्ट) और साइबर ठगी की घटनाओं के प्रति लोगों को जागरूक किया।

Digital Arrest(डिजिटल अरेस्ट) में पीड़ित व्यक्ति को साइबर ठग द्वारा एक फर्जी कॉल, वीडियो कॉल या ईमेल के माध्यम से सूचित किया जाता है कि उन्होंने अवैध सामान, ड्रग्स या प्रतिबंधित वस्तुओं वाला पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है। कुछ मामलों में, पीड़ित के दोस्तों या रिश्तेदारों को भी बताया जाता है कि वह किसी अपराध में शामिल हैं।कई मामलों में पीड़ित के दोस्तों या परिवार के सदस्यों को सूचित किया जाता है कि वह किसी अपराध या अवैध वस्तुओं के लेन-देन में शामिल है।
जब ठग अपने लक्ष्य को फंसा लेते हैं, तो वे वीडियो कॉल के जरिए उनसे संपर्क करते हैं। वे अक्सर ईडी या पुलिस के अधिकारियों के रूप में या पुलिस स्टेशन जैसी जगहों से वीडियो कॉल करते हैं। इसके बाद, वे पीड़ित को अत्यधिक डराते-धमकाते हैं और पैसे की मांग करते हैं ताकि मामले को सुलझाया जा सके। इस डर के कारण पीड़ित ठगी का शिकार हो जाता है, और तब उसे एहसास होता है कि वह साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी सरकारी एजेंसी इस प्रकार से किसी व्यक्ति से फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगती है। यदि आपके साथ ऐसी कोई घटना होती है, तो आपको तुरंत उचित कदम उठाने चाहिए।
Digital Arrest(डिजिटल अरेस्ट) से बचने के उपाय-
इस तरह से किसी व्यक्ति के पास फोन,इमेल्स या विडियो कॉल्स आता है तो डरने की जरुरत नहीं बल्कि फोन की कट कर देना चाहिए या इमेल्स का जवाब नहीं देना चाहिए,उनको ब्लैक लिस्ट में डाल देना चाहिए और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल या साइबर क्राइम की वेबसाइट- http://cybercrime.gov.in/ पर सूचित करना चाहिए|
. ध्यान रहे की कोई भी सरकारी संगठन या व्यक्ति कभी भी विडियो कॉल,वाइस कॉल के जरिये संपर्क नहीं करते हैं|
. साइबर ठगों की धमकियों या बातों से प्रभावित न हो और अपनी निजी जानकारियों को किसी दुसरे व्यक्ति को साझा न करें|
. कॉल या बातचीत का स्क्रीनशॉट सबूत के तौर पर रखना चाहिए ताकि जरुरत पड़ने पर उपयोग किया जा सके|
. किसी भी अनजान कॉल को तुरंत ज़वाब नहीं देना चाहिए|
डिजिटल लेनदेन करते समय सतर्क रहने की जरुरत है|अच्छे से जांच करके ही लेनदेन करना चाहिए|किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें|
डिजिटल अरेस्ट या साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए सही जानकारी और सावधानी बरतने की जरुरत है|
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